कब मेरी सोच ने, सोचना बंद कर दिया था, कहाँ से विचारों ने, शून्यता का रुख किया था, कब मेरी सोच ने, सोचना बंद कर दिया था, कहाँ से विचारों ने, शून्यता का र...
मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े होते जाते ह मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े हो...
मैं औरत हूं, बहन हूँ ,बेटी हूं, मां हूं,अभिमान हूं, अभिशाप नहीं। सिर्फ रोटियां सेंक मैं औरत हूं, बहन हूँ ,बेटी हूं, मां हूं,अभिमान हूं, अभिशाप नहीं। सिर...
जब भी कोई दुष्कर्म करे तो मुझको ग़लत बताते हो, क्या सिर्फ लिबास ही दिखता है, मां, बहन जब भी कोई दुष्कर्म करे तो मुझको ग़लत बताते हो, क्या सिर्फ लिबास ही दिखता है...
यथार्थ का आईना दिखाती एक कविता। यथार्थ का आईना दिखाती एक कविता।
यह फ़क्र नही यह फर्क है। यह फ़क्र नही यह फर्क है।